Sankat Mochan Mahabali Hanumaan - भगवान हनुमान से हमें क्या सीख लेनी चाहिए | अर्था

2019-02-05 17

हम सब भगवान हनुमान को भगवान राम के सबसे बड़े भक्त के रूप में जानते है, लेकिन उनका जीवन एक निस्वार्थ के भाव से भरा हुआ था... इस विडियो में हम देखेंगे की भगवान हनुमान के निस्वार्थ जीवन से हमें क्या सीख़ मिलती है

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१ अपने लक्ष्य और सपनों का पीछा करना

* भगवान हनुमान भगवान राम के एक सच्चे भक्त थे और उन्होंने हमें समर्पित अनुयायी होने का कौशल सिखाया

* हमारा लक्ष्य या ध्येय्य प्राप्त करने के लिए, हमें सभी को किसी न किसी का सच्चा अनुयायी होना चाहिए, यह सिख हमें भगवान हनुमान से मिलती है

२ निर्णय लेना

* भगवान हनुमान बुद्धि और निर्णय लेने में विख्यात थे, यह हम "संजीवनी बूटी" लाने की घटना से सिख सकते है

* उनको समझ नहीं आ रहा था की कौनसी संजीवनी बूटी सही है और उनके पास वक़्त कम था, इसलिए उन्होंने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और पूरा पर्वत उठा लाये

3. अज्ञात मददगार लोगों का आभारी होना

* जब वह श्रीलंका के लिए आकाश में उड़ रहे थे, तब मैनाक पर्वत ने उन्हें आराम करने के विनंती की थी

* जल्दी होने के कारण वह मैनाक को नज़र अंदाज कर सकते थे, लेकिन मैनाक के दयालु स्वभाव के लिए उन्होंने उसका धन्यवाद किया

४ अपने से बड़ो का आदर करना

* जब लंका में भगवान हनुमान पर ब्रह्मास्त्र द्वारा हमला किया गया था, तब वे यह हथियार नष्ट करने में सक्षम थे

* लेकिन उन्होंने ऐसा न कर भगवान ब्रम्ह का सम्मान करने हेतु, ब्रम्हास्त्र को सहन कर लिया था
५ शालीन और विनम्र होना

* भगवान हनुमान ने हाथ जोड़कर रावण के साथ बात की और एक सौम्य तरीके से सम्मान के साथ उसे संबोधित किया था

* उनका यह विनम्र स्वभाव रावण ने तुंरत भाप लिया था

६ विनम्र और पूर्ण नियंत्रण

* भगवान हनुमान ने उनकी उपलब्धियों के बारे में कभी भी डंका नहीं पीटा

* यह माना जाता है की उनको अपनी सारी सवेंदनाओ पर नियंत्रण था जिसे 'जितेन्द्रियं' कहते है

७ रक्षक बनना, भक्षक नहीं

* भगवान राम के राज्याभिषेक के दौरान भगवान हनुमान उनकी ढाल बने थे जो संरक्षण का प्रतीक दर्शाता है

* और उनकी यह विचारधारा थी की, सच्ची शक्ति मारने में नहीं बल्कि बचाने में होती है

८ निस्वार्थता की वास्तविक शक्ति

*भगवान हनुमान का रावण या युद्ध के साथ कोई लेना देना नहीं था, उन्होंने भगवान राम की मदद की, क्योंकि उन?

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